उस झील की
झिलमिलाती हुई नीली शांति
एक नाव,एक
मांझी और एक
महकती कहानी
पानी में खड़ा एक पेड़, जाने क्यों विद्रोही?
और तुम्हारी साँसों की अनकही गवाही।
पानी में खड़ा एक पेड़, जाने क्यों विद्रोही?
और तुम्हारी साँसों की अनकही गवाही।
आज फिर याद
आया है वह
किनारा मुझे;
एक सुबह जो धुंध में कही खो गई थी;
क़दमों की आहटें कुछ अनसुनी जो रह गई थी;
और राह में वह जो मोड़ अचानक आया था।
एक सुबह जो धुंध में कही खो गई थी;
क़दमों की आहटें कुछ अनसुनी जो रह गई थी;
और राह में वह जो मोड़ अचानक आया था।
कुछ दूर तुम
चले थे एक
राह पर।
कुछ दूर मैं चला था दूसरी पर।
कहाँ जाने राहें अनजान हुई थी अपनी?
और कब जाने परिचय हुआ उनसे फिर?
कुछ दूर मैं चला था दूसरी पर।
कहाँ जाने राहें अनजान हुई थी अपनी?
और कब जाने परिचय हुआ उनसे फिर?
मुडके देखू पीछे
तो डरावना अँधेरा
है,
एक चीत्कार की गूँज, एक काले जंगल का साया है।
कुछ भूरी टूटी शाखें है, और बिखरे पीले पत्ते है।
कुछ पदचिन्ह भी छूटे है, अधूरे से, फैले हुए लाल धब्बे।
एक चीत्कार की गूँज, एक काले जंगल का साया है।
कुछ भूरी टूटी शाखें है, और बिखरे पीले पत्ते है।
कुछ पदचिन्ह भी छूटे है, अधूरे से, फैले हुए लाल धब्बे।
शूल थे या
टूटे हुए सपनो
के शीशे?
न जाने ऐसे क्यों हमने पैरों को रंगे थे?
न जाने ऐसे क्यों हमने पैरों को रंगे थे?
हाथ बढ़ाकर आज इस
धूसर आईने को
थोडा पोछा है,
थोडा साफ़ किया
है,
कुछ टहनियाँ हटाई है,
कुछ पत्ते समेटे
है
तो रंगों के बीच ओझल एक सच्चाई नज़र आयी है
कि आज भी वही हाथ है, आज भी तुम्हारा साथ है।
तो रंगों के बीच ओझल एक सच्चाई नज़र आयी है
कि आज भी वही हाथ है, आज भी तुम्हारा साथ है।
Us jheel ki jhilmilati hui neeli shanti.
ReplyDeleteEk naav, ek majhi aur ek mehekti kahani.
Pani mein khada ek ped, jaane kyon vidrohi?
Aur tumhari saanson ki ankahi gawahi.
Aaj phir yaad aaya hai woh kinara mujhe;
Ek subah jo dhundh mein kahi kho gayi thi;
Kadmon ki aahante kuch ansuni jo reh gayi thi;
Aur raah mein woh jo mod achanak aaya tha.
Kuch door tum chale the ek raah par.
Kuch door main chala tha doosri par.
Kahaan jaane raahein anjaan hui thi apni?
Aur kab jaane parichay hua unse phir?
Mudke dekhoo peeche to daraavna andhera hai,
Ek chitkaar ki goonj, ek kaale jungle ka saaya hai.
Kuch bhoori tooti shakhein hai, aur bikhre peele patte hai.
Kuch padchinnh bhi choote hai; adhoore se, faile hue laal dhabbe.
Kshool the ya toote hue sapnon ke sheeshe?
Na jaane aise kyon humne pairon ko range the?
Haath badhaakar aaj is dhusar aaine ko
Thoda pocha hai, thoda saaf kiya hai,
Kuch tehniyan hatayi hai, kuch patte samete hai
To rangon ke beech ojhal ek sacchayi nazar aayi hai
Ki aaj bhi wahi haath hai, aaj bhi tumhara saath hai.
aaj bhi wahi haath ,aaj bhi tumhara sath hai..:))wow!
ReplyDeleten kshool kya hai...i know shool which is thorn..enlighten..correct me im wrong..
alright you got ur chance :)...the correction has been made! dunno why i always knew the wrong spelling?
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